टिहरी गढ़वाल : देश की आजादी मिलने के 77 साल बाद और उत्तराखण्ड राज्य बनने के 24 साल बाद भी टिहरी जिले के जौनपुर विकासखण्ड की नैनबाग तहसील का खरक गांव सड़क मार्ग से नहीं जुड़ सका है जिससे खरक गांव के ग्रामीण सरकार से बेहद खफा हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बीते 2019 के आम चुनावों में भी खरक गांव के ग्रामीणों ने चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया था लेकिन प्रशासन द्वारा सड़क मार्ग से गांव को जोड़ने के आश्वासन के बाद चुनाव मेें मतदान करने को राजी हो गये थे। इस बार ग्रामीणों ने 19 अप्रैल को होने वाले मतदान से दूर रहने का निर्णय लिया है।
खरक गांव निवासी तथा पूर्व प्रधान सरदार सिंह रावत का कहना है कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2003-4 में राष्ट्रीय राजमार्ग 507 के सुमनक्यारी से बणगांव, सुरांसू, खरक होते हुए काण्डी गांव तक सड़क मार्ग को स्वीकृति दी थी जिसके प्रथम चरण में सुमनक्यारी से खरक गांव तक 12 किमी तक के लिए सर्वे कार्य पूरा कर वित्तीय स्वीकृति भी दी गयी और वर्ष 2007 तक सुरांसू गांव तक 10 किमी सड़क बना दी गयी और आगे के दो किमी खरक गांव तक का कार्य न जाने किस कारण से रोक दिया गया। 2007 में सुरांसू तक सड़क निर्माण कार्य रोके जाने के बाद आज 17 साल बीतने के बाद भी जस का तस रूका हुआ है। लोनिवि के अस्थायी थत्यूड़ खण्ड को 2007 से आज तक लगातार इस बाबत पूछताछ की जा रही है लेकिन हर बार एक ही रटा रटाया जवाब मिलता रहा है कि दो किमी के लिए नये सिरे से एस्टीमेट विभाग को भेजा जा रहा है लेकिन स्थिति जस के तस बनी हुई है। खरक गांव के ही सूरत सिंह खरकाई ने बताया कि कुछ समय पहले तहसील के कैम्पटी में जिलाधिकारी के चौपाल कार्यक्रम में सड़क निर्माण के लिए जिलाधिकारी से गुहार लगायी गयी थी जिसके लिए जिलाधिकारी द्वारा थत्यूड़ अस्थायी डिविजन के अधिशाषी अभियंता लोनिवि को कार्यवाही करने को निर्देशित किया गया था।
सूरत सिंह रावत (खरकाई) ने बताया कि उनके द्वारा लोनिवि के मुख्य अभियंता पौड़ी, अधीक्षण अभियंता नयी टिहरी, प्रमुख अभियंता लोनिवि देहरादून, मुख्य मंत्री उत्तराखण्ड सरकार, लोनिवि मंत्री उत्तराखण्ड सरकार, जिलाधिकारी टिहरी गढवाल तथा विधायक धनोल्टी को भी पूर्व में स्वीकृत सड़क मार्ग निर्माण की गुहार लगायी गयी लेकिन कहीं से भी कोई संतोषजनक कार्यवाही नहीं की गयी। उन्होंने बताया कि तीन बार मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी इस बाबत लिखा गया था। खरक गांव के दिवान सिंह रावत, बिरेंद्र सिंह रावत, जगदीश, भगतू, ज्ञानदास आदि ने बताया कि गांव तक सड़क नहीं होने से बीमार व्यक्ति, प्रसव के समय गर्भवती महिला को टब में बिठाकर अस्पताल पहुंचाना पड़ता है जिसमें मरीज की जान तक जाने का खतरा बना रहता है। सुरेश रावत ने बताया कि ग्रामीणों की नकदी फसलों को बाजार तक पहुँचाने में घोड़े खच्चरों की मदद लेनी पड़ती है जिससे खर्च भी ज्यादा होता है और विलंब से बाजार तक पहुँचने में उत्पाद भी खराब होते हैं। ग्रामीण शूरवीर सिंह तोमर ने कहा कि सुरांसू से खरक गांव तक जिस हिस्से में सड़क बनाने का सर्वे हुआ था उसके लिये लोनिवि द्वारा प्रभावित परिवारों को मुआवजा भी दिया जा चुका है। ग्रामीणों ने बताया कि इस बाबत गांववासियों की एक बैठक में निर्णय लिया गया कि आगामी आम चुनावों से किनारा करने का निर्णय लिया गया है।
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