देहरादून नगर निगम तोड़े गए मकानों को दोबारा बनाकर दे , कोर्ट ने दिया आदेश, हर्जाना भी देना होगा

बताया कि वर्ष 1995 में पिछड़े एवं अनुसूचित जाति के आवासहीन व्यक्तियों को निरंजनपुर में भूखंड दिए गए थे। इनमें से इन तीनों पीड़ितों को भी भूखंड दिए गए। इसके बाद इन भूखंडों पर उन्होंने अपनी आय से मकानों का निर्माण कराया था। उस समय से ही सभी लोग यहां पर काबिज हो गए और सरकारी दस्तावेज में भी उनके नाम दाखिल हो गए। इसके बाद वर्ष 2003 में नगर निगम की ओर से इस जमीन को अपना बताते हुए नोटिस जारी किए गए। कहा गया कि यदि उन्होंने जमीन खाली नहीं की तो पुलिस और प्रशासन की मदद से इन्हें तोड़ दिया जाएगा। उन्होंने पुलिस के पास गुहार लगाई तो पुलिस ने इसमें कोई मदद नहीं की और उन्हें कोर्ट की शरण लेने को कहा।
उन्होंने कोर्ट में अपनी बात रखते हुए नगर निगम के इस आदेश पर स्थगन आदेश प्राप्त कर लिया। इसी बीच नगर निगम ने कार्रवाई करते हुए तीन पीड़ितों के मकान ढहा दिए। कोर्ट में पीड़ितों ने अपने मकानों के निर्माण और हर्जाने की मांग की थी।
पीड़ितों के अधिवक्ता जितेंद्र कुमार ने बताया कि 12 अप्रैल को द्वितीय अपर सिविल जज इंदु शर्मा ने नगर निगम के खिलाफ फैसला सुनाया है। न्यायालय ने पाया कि इन संपत्तियों के संबंध में न्यायालय में वाद चल रहा था।
बावजूद इसके नगर निगम ने यह कार्रवाई की, जो कि नियम विरुद्ध है। ऐसे में पीड़ित हर्जाना पाने की योग्य हैं। उधर, नगर निगम ने जिला न्यायालय के इस आदेश के विरुद्ध हाई कोर्ट जाने की तैयारी शुरू कर दी है।