पंचकोसी वारूणी यात्रा में उमडा़ आस्था का सैलाब।

रिपोर्ट – अरविन्द थपलियाल

उत्तरकाशी : सुबह से पंचकोसी वारूणी यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु रुख किए हुए।सुबह से श्रद्धालु भागीरथी नदी में जल भरकर 15किलोमीटर पैदल यात्रा में निकलें हुए है।वरुणा नदी में स्नान के साथ शुरू होने वाली यात्रा वरुणावत पर्वत के ऊपर से गुजरते हुए असी गंगा और भागीरथी के संगम पर पूजा-अर्चना के साथ संपन्न होती है। पंचकोसी वारुणी नाम से हर वर्ष होने वाली इस यात्रा का बड़ा धार्मिक महत्व माना जाता है। कहा जाता है कि इस यात्रा को पूर्ण करने वाले व्यक्ति को 33 करोड़ देवी देवताओं की पूजा-अर्चना का पुण्य लाभ मिलता है। वंही मान्यता है इसी पर्वत पर भगवान परशुराम और महृषि ऋषि ने तपस्या की थी। कई श्रद्धालु अपनी अपनी मनोकामना को लेकर नंगे पैर इस यात्रा को कर रहे है।
रविवार को ब्रह्ममुहूर्त से ही श्रद्धालुओं के जत्थे वारुणी यात्रा पर निकलने शुरू हो गए है। करीब 15 किमी लंबी इस पदयात्रा के पथ पर बड़ेथी संगम स्थित वरुणेश्वर, बसूंगा में अखंडेश्वर, साल्ड में जगन्नाथ और अष्टभुजा दुर्गा, ज्ञाणजा में ज्ञानेश्वर और व्यास कुंड, वरुणावत शीर्ष पर शिखरेश्वर तथा विमलेश्वर महादेव, संग्राली में कंडार देवता, पाटा में नर्वदेश्वर मंदिर में जलाभिषेक और पूजा-अर्चना का सिलसिला शाम तक चलता रहेगा। वरुणावत से उतरकर श्रद्धालुओं ने गंगोरी में असी गंगा और भागीरथी के संगम पर स्नान के बाद नगर के विभिन्न मंदिरों में पूजा-अर्चना एवं जलाभिषेक के साथ काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचकर यात्रा संपन्न होंगी।

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