आर्यम अनुष्ठान में उमड़ पड़े हिंदू श्रद्धालु वैदिक मंत्रों से गूँजा अफ़्रीकी देश मॉरीशस।

मॉरीशस : आर्यम इंटरनेशनल फ़ाउंडेशन मॉरीशस के अन्तर्गत संचालित भगवान शंकर आश्रम कतरबोर्न पालमा में आज शिवरात्रि श्रावण माह के उपलक्ष्य में विशेष अनुष्ठान का आयोजन किया गया।श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को प्रदोष वेला में आदि अमावस्या के दिन शिव के निमित्त आहूत विशेष अनुष्ठान में मॉरीशस स्थित भारतवंशी उमड़ पड़े।सनातन और वैदिक कड़ियों को पिरोते हुए भारत से पधारे आध्यात्मिक गुरुदेव श्री आर्यम के सानिध्य में समस्त अनुष्ठान संपन्न हुए।
मसूरी(भारत) स्थित आर्यम मुख्यालय से गुरुदेव के साथ पधारी ट्रस्ट की अधिशासी प्रवक्ता माँ यामिनी श्री ने बताया कि भारतीयों के आराध्य भगवान शिव के प्रति समूचे विश्व में आस्था और लगाव निरंतर बढ़ रहा है। ट्रस्ट के संस्थापक अध्यक्ष प्रोफ़ेसर पुष्पेन्द्र कुमार आर्यम जी महाराज शिवरात्रि के अवसर पर आयोजित अनुष्ठान में यहाँ स्वयं पधारे।देवों के देव महादेव के निमित्त समस्त सत्रों के अनुष्ठान के प्रमुख गुरुदेव आर्यम रहे।


श्री आर्यम ने विदेशों में रह रहे सभी भारतीय हिंदुओं को अपने धर्म की विशेषता पर गर्व करने का आह्वान किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि आज प्रचलित सभी धर्मों और संप्रदायों में सनातनी वैदिक हिंदुत्त्व मूल्य ही सर्वाधिक प्रासंगिक और वैज्ञानिक महत्त्व रखते हैं। आर्यम ने युवाओं से आह्वान किया कि सफल और सुखी आनंदित शांति प्रिय जीवन के लिए अपने प्राचीनतम संस्कारों को अपनी जीवनचर्या का अभिन्न अंग बनायें। आज के अग्निहोत्र और पुष्प अर्चन में भक्तों ने बढ़चढ़कर भाग लिया और सभी विधि विधानों को ध्यान पूर्वक सीखने का प्रयास किया। गुरुदेव ने पर्यावरण संतुलन और मनुष्यों के अपने आत्मबल के संवर्धन पर ज़ोर दिया।
ज्ञातव्य हो कि आर्यम जी महाराज ने अपने पहले आश्रम की स्थापना मॉरीशस में वर्ष 2012 में की थी। तब वे यहाँ मॉरीशस सरकार के लिए संचार निदेशक के रूप में तीन साल के लिए नियुक्त हुए थे।पहले आश्रम का कामकाज श्रीएथनिक इंडिया ट्रस्ट चलाता था जिसका वर्ष 2023 में आर्यम इंटरनेशनल फ़ाउंडेशन में विलय कर दिया गया। अब सभी गतिविधियों का मुख्य केंद्र मसूरी उत्तराखण्ड (भारत) ही है।

आज के आयोजन में मॉरीशस के अलावा कईं अन्य देशों के शिष्यों ने भी भाग लिया। आयोजन को सफल बनाने में हर्षिता आर्यम, नवीन ओमा आर्यम, गिरिजादेवी कोजी, शांता कोजी,किरण नारायण, नितिन, सवीना, निखिल, उमेश महादू, कविराज , प्रकाश गंगा, विनय बसगित , नंद किशोर नारायण, एकलव्य नारायण, डियोना आदि का योगदान रहा।

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