कलयुग में शक्ति आराधना से समस्त कामनाएं पूरी होती हैं – ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती ‘१००८’ जी महाराज।
रिपोर्ट – विनय उनियाल
चमोली/जोशीमठ : आश्विन नवरात्रि में देश के कोने कोने में लोग परम्परागत रूप से देवी की पूजा करते हैं , हिमालय तो वो स्थान है जहां देवी की उत्पत्ति हुई है , इसलिए देवी को शैलपुत्री आदि नाम से जाना जाता है । इसी हिमालय का हृदयस्थल ज्योतिर्मठ जो कि उत्तराखण्ड के चमोली में स्थित है जिसे जोशीमठ के नाम से जाना जाता है ।
‘परमाराध्य’ परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर अनंतश्रीविभूषित जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती ‘१००८’ जी महाराज के शंकराचार्य पीठ , तोटकाचार्य गुफा ज्योतिर्मठ में नवरात्र व्रत के अन्तराल में पूर्व की भांति आज से त्रिदिवसीय सहस्र सुवासिनी का आयोजन किया गया जिसमें पहले दिन क्षेत्र की माताओं की सविधि षोडशोपचार से पूजा की गई । इस अवसर पर शंकराचार्य जी का सन्देश पढते हुई ज्योतिर्मठ के प्रभारी मुकुन्दानन्द ब्रम्हचारी ने शक्ति उपासना का माहात्म्य सभी को विस्तार से बताया । उन्होने कहा शिव यदि शक्ति से शून्य हो जाएं तो शव के समान हो जाएंगे । भारत देश की ये परम्परा है कि हम स्त्रियों को माता के रूप में पूजते हैं , और इस तरह का आयोजन इस शाश्वत भावना को जनसामान्य तक पहुँचाता है ।
ज्योतिर्मठ के व्यवस्थापक विष्णुप्रियानन्द ब्रह्मचारी ने इस अवसर पर उपस्थित माताओं की प्रथम पूजा कर सबको श्रृंगार आदि उपहार समर्पित किए ।
आज की पूजा में मुख्य रूप से उपस्थित रहे सर्वश्री श्रीमति स्निग्धा आनन्द जी , मुरलीधर शर्मा जी, सुश्री माधवी सती जी, प्रवीण नौटियाल जी, महिमानन्द उनियाल जी, सन्तोष सती जी, जगदीश उनियाल जी, आदि उपस्थित रहे ।