उत्तरांखड राज्य निर्माण के प्रणेता इंद्रमणि बडोनी का पुण्य तिथि पर याद किया गया।
मसूरी : उत्तराखंड राज्य निर्माण के प्रेरणता तथा पर्वतीय गांधी के नाम से विभूषित इंद्रमणी बडोनी की पुण्य तिथि पर इंद्रमणि बडोनी चौक पर लगी उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई और उन्हें याद कर उनके विचारों पर चलने का संकल्प लिया गया।
इस अवसर पर वक्ताओं ने उत्तरांखड के गांधी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि इंद्रमणि बडोनी रे राज्य की लडाई को राज्य निर्माण तक पहुंचाया लेकिन वह अपने सपनों के राज्य को देख नहीं सके। उन्होंने राज्य आंदोलन को शुरू किया था जिनकी बदौलत राज्य मिला। वक्ताओं ने कहा कि बडोनी के आंदोलन शुरू करने के बाद यह विश्व का सबसे बड़ा व पहला ऐतिहासिक आंदोलन बना जो स्वतः स्फूर्त था जिसका नेतृत्व किसी राजनैतिक दल या सामाजिक संस्था ने नहीं बल्कि जनता ने किया व किसी भी क्षेत्र से आने वाली आंदोलन की कॉल को सभी अमल में लाते थे। इस मौके पर वक्ताओं ने स्व. बडोनी की प्रतिमा की जर्जर स्थिति पर चिन्ता व्यक्त की, और नगर पालिका प्रशासन के खिलाफ़ भारी आक्रोश व्यक्त किया गया। बताया गया कि मिट्ठी में स्थापित की गई प्रतिमा हिल रही है और कभी भी धराशाही हो सकती है। जिससे राज्य आंदोलनकारियों में आक्रोश है वहीं चेतावनी दी गई कि यदि नगर पालिका प्रशासन शीघ्र ही बडोनी की मूर्ति को पक्का नहीं करता है और स्मारक के चारों ओर रेलिंग नहीं लगती और उनके नाम का बोर्ड नहीं लगता है तो बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा।
श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में पूर्व विधायक जोत सिंह गुणसोला, पूर्व पालिका अध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल, पूर्व पालिका अध्यक्ष ओ पी उनियाल, इंद्रमणी बडोनी स्मृति मंच के अध्यक्ष पूरण जुयाल, महामंत्री प्रदीप भण्डारी, भगवान सिंह धनाई, जसोदा शर्मा, स्मृति हरि, दर्शन रावत, कांग्रेस अध्यक्ष अमित गुप्ता, व्यापार मण्डल अध्यक्ष रजत अग्रवाल, खुर्शीद अहमद, रमेश कुमार, श्रीपति कंडारी, राजीव अग्रवाल, संजय टम्टा, रणजीत चौहान, शूरवीर भण्डारी, देवी गोदियाल, आरपी बडोनी, संदीप साहनी, हेमन्त ग्रोवर, अमित भट्ट, आर्यनदेव उनियाल, बिजेंद्र भण्डारी, जय प्रकाश राणा, ममता राव समेत बड़ी संख्या में लोग रहे। उत्तराखंड राज्य निर्माण के प्रणेता तथा पर्वतीय गांधी के नाम से विभूषित इंद्रमणी बडोनी की पुण्य तिथि पर बड़ी संख्या में लोगों ने उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की और उन्हें याद कर उनके विचारों पर चलने का संकल्प लिया गया।