रिपोर्ट – विनय उनियाल
चमोली/जोशीमठ : हिमालय की भूमि में सर्वत्र नई नई परम्पराएं देखने को मिलती हैं , यहां पर सबके इष्ट भगवान बदरीविशाल के मंगलमय दर्शन को देशभर के भक्तजन आते रहते हैं , ये तो सहज प्रक्रिया है आजकल । लेकिन यहां पर तो तत्तत स्थानों से चलकर देवताओं का श्री विग्रह डोली रूप में स्वयं चलकर भगवान के दर्शन को सदा आते रहते हैं । यहीं हिमालय का वैशिष्ट्य है , जिस कारण सम्पूर्ण वसुधा में ये हिमालय अन्यतम है । शास्त्रों में कहा गया है कि नाग देवता सदा हमारी रक्षा करते हैं, इस पृथ्वी को भगवान शेषनाग बनकर अपने मस्तक पर रखते हैं, ऐसे नागों की पूजा सदा सर्वदा व्यक्ति को अपने कल्याण की कामना से करना चाहिए, उक्त बातें परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर अनन्तश्रीविभूषित जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती ‘१००८’ जी महाराज ने ज्योतिर्मठ में रात्रि-विश्राम को ऋषिकेश के गुमानीवाला से आई भगवान नागराज की डोली के भक्तों को दिया ।
आज प्रातः भगवान नागराज की डोली ज्योतिर्मठ में रात्रि-विश्राम कर प्रातः व्यवस्थापक विष्णुप्रियानन्द ब्रह्मचारी ने विधि-विधान से डोली की पूजा कर क्षेत्र के कल्याण की कामना की । साथ मे महिमानन्द उनियाल जी, जगदीश उनियाल जी, मनोज गौतम जी, नवीन नेगी जी आदि ।
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