मसूरी – शहीद भगत सिंह के 114वें जन्म दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा कुछ ऐसा।

मसूरी : शहीद भगत सिंह के 114वें जन्म दिवस पर इप्टा मसूरी ने शहीद ए आजम भगत सिंह सम्मान समारोह का आयोजन किया जिसमें आजादी में अहम योगदान देने वाले अश्फाक उल्ला खां, भगत सिंह, सुखदेव, बहादुर शाह जफर के परिजनों को सम्मानित किया गया। वहीं स्थानीय स्तर पर भी तीन विभूतियों को सम्मानित किया गया।


राधाकृष्ण मंदिर सभागार में आयोजित शहीद भगत सिंह के 114वें जन्म दिवस पर आयोजित सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पूर्व केंद्रीय मंत्री व गांधी ग्लोबल फैमिली के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने अपने संबोधन में कहा कि 9 अगस्त 1942 को अंग्रेजों भारत छोड़ो का आखरी नारा लगा व उसके बाद देश की आजादी का आंदोलन तेज हो गया। कार्यक्रम में बहादुर शाह जफर के परिवार से आए सदस्यों को इंगित करते हुए उन्होंने कहा कि बहादुर शाह जफर एक नेक दिल इंसान व बेहतरीन इंसान थे। 10 सितंबर 1927 को स्पार्की लाल राम प्रसाद बिस्मिल, राजेंद्र लहरी को फांसी हुई। उसके बाद 23 मार्च 1931 को भगत सिंह राजगुरू व सुखदेव को फांसी हुई। उन्होंने कहा कि सबका लक्ष्य एक ही था देश की आजादी। लेकिन हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कुछ हिंसा और अहिंसा के पथ पर चलते थे। उन्होंने कहा कि उस समय जातियों की लड़ाई नहीं होती थी और आज जाति धर्म को लेकर लड़ाईया हो रही है।


वहीं पत्रकारों से बातचीत में पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा कि किसान आंदोलन का समर्थन करते रहेंगे नेता राज्यसभा के रूप में भी अपने संबोधन में यह मामला उठाया। सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने कहा कि अंग्रेजों के राज में छह ऐसे आंदोलन हुए थे जो कि साल साल भर चले लेकिन आखिर अंग्रेजी सरकार को झुकना पड़ा व कानून वापस लेना पड़ा। राजीव गांधी के समय भी 88 में राकेश टिकैत के पिता के समय आंदोलन हुआ था वहीं हमने भी समानांतर आंदोलन वोट क्लब में करना था लेकिन वहां पर दो दिन पहले ही टिकैत पचास हजार किसानों को हुक्का, चारपाई लेकर आ गये तब यह रैली लाल किले में की हमने उन्हें हटाया नहीं जबकि दस लाख लोग रैली में शामिल थे किया उसका में जनरल सेक्रेट्री था। ऐसे में सरकार को इस आंदोलन को वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि संसदीय राजनीति अलग होती है व व्यक्तिगत राजनीति अलग होती है। संसद में हम एक दूसरे के कार्यों की आलोचना करते है सरकार ने किसान बिल गलत लाया उसके खिलाफ है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि किसी मंत्री को गाली दें। लेकिन यह ध्यान रखना चाहिए कि सभी संसद के सदस्य है जनता ने चुनकर भेजा है। देश की आजादी में भी मतभेद थे गांधी का अलग रास्ता था, अस्फाक उल्ला, सुभाष चंद्र बोस का अलग रास्ता था लेकिन सभी का मकसद एक था। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में सबसे पहले स्टेट बहाल किया जाय व चुनाव कराया जाय। क्योंकि देश की सबसे पुरानी स्टेट है 1846 की है जो 176 साल पुरानी है।

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