प्राइवेट में वैक्सीन की दर तय न करना कालाबाजारी को बढावा व मानवाधिकार का हनन – रजत अग्रवाल
मसूरी : मसूरी ट्रेडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन ने मानव अधिकार आयोग,नयी दिल्ली को पत्र भेज कर कोरोना वैक्सीन की दर प्राइवेट अस्पतालों के लिए निर्धारित न करने पर जहां काला बाजारी को बढ़ावा मिल रहा है वहीं मानवाधिकारों का हनन भी हो रहा है। तथा आम जनता के साथ छल है। उन्होंने इस मामले में शीघ्र कार्रवाई की मांग की व प्राइवेट अस्पतालों के लिए दर निर्धारित करने की मांग की।
मसूरी ट्रेडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन ने मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली में रिट दायर की जिस पर आयोग ने संज्ञान लिया है। मसूरी ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रजत अग्रवाल ने मानवाधिकार आयोग को लिखे पत्र में कहा कि सरकार द्वारा प्राइवेट अस्पतालों को कोरोना वैक्सीन लगाने को अधिकृत तो किया लेकिन वैक्सीन की दर तय नही की जिससे काला बाजारी बढ रही है व मानवाधिकारों का हनन हो रहा है। उन्होंने पत्र में लिखा कि हाल ही में कोविद के टीके की कमी के कारण ये कार्य रुक गया और अधिकांश सरकारी केंद्र बन्द हुए व निजी हॉस्पिटल द्वारा ये कार्य मनमाने मूल्य पर किया जा रहा है। लेकिन सरकार ने चुप्पी साध रखी है। वैक्सीन का कोई भी रेट निर्धारित नहीं है। प्राइवेट हॉस्पिटल व संस्थानों को कोविड वैक्सीन की एक डोज रुपये 600 में मिलती है जिसकी दर सरकार द्वारा निर्धारित की गई है परंतु इसी वैक्सीन को लगाने की कीमत को सरकार ने आज तक तय नहीं किया है। केंद्र व राज्य सरकार द्वारा हर दवाई हर बीमारी के इलाज, व हर वैक्सीन के रेट व उपचार के रेट निर्धारित किये गए हैं व समय समय पर इसकी सूचना वेबसाइट पर, अखबारों से व सोशल मीडिया से जनता को मिलती रहती है। वहीं सरकार एक छोटे से बिस्कुट के पैकेट को भी अधिकतम मूल्य पर बेचने का सन्देश पैकेट पर लिखा होता है अगर वह उस रेट से अधिक पर बेचता है तो जुर्माना लगाया जाता है। देश में कोरोना जैसी त्रासदी के चलते भी सरकार ने अनेक दवाओं व टेस्ट के साथ ही उपचार के रेट जनता की सहूलियत के लिए निर्धारित किये, जिससे की कोई भी हॉस्पिटल या व्यक्ति जनता को भ्रमित कर अधिक पैसे न वसूल सके। लेकिन बहुत ही अफसोस की बात है की इतना सब करने के बावजूद मानव अधिकारों का हनन हो रहा हैैं। कोरोना की वैक्सीन का मूल्य सरकार द्वारा तय व् निर्धारित नहीं किया गया जिससे की टीके की कीमत में हॉस्पिटलों व् प्राइवेट संस्थानों द्वारा मनमानी रेट वसूले जा रहे हैं। जिला देहरादून में कोविद वैक्सीन कोविशिएल्ड के रेट में भारी अंतर है ये वैक्सीन 895 रूपए से लेकर 1200 रूपए में लगाई जा रही है। जो जनता के साथ छल है व मानवाधिकारों का हनन है। जब सरकार एक रूपया अधिक लेेने पर दुकानदार का चालान काटती है तो चार सौ रूपये अधिक लेने पर प्राइवेट असप्तालों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जाती। उन्होंने मांग की कि ऐसे अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई हो व एक दर तय की जाय ताकि कालाबाजारी को बढावा न मिले व जनता के अधिकारों का हनन न हो। पत्र भेजने वालों में व्यापार संघ अध्यक्ष रजत अग्रवाल, महामत्री जगजीत कुकरेजा, कोषाध्यक्ष नागेंद्र उनियाल है।