टिहरी – नहीं रहे आजादी व राज्य आंदोलन को धार देने वाले रतन भाई।

टिहरी : आजादी की जंग से लेकर पृथक उत्तराखंड की लड़ाई में आंदोलनकारियों को ऊर्जा प्रदान करने वाला जिंदा दिल रतन भाई ने अपने 99 वर्ष के अंतिम पड़ाव पर अपनी सुपुत्री के थत्यूड़ स्थित घर पर अंतिम सांस ली। जिनकी अंत्येष्टि पौराणिक घाट थत्यूड़ की त्रिवेणी में की गई। उनके देहांत की खबर से क्षेत्रीय लोगों एवं जनप्रतिधियों ने गहरा दुख व्यक्त किया।
जौनपुर विकासखण्ड के ग्राम पंचायत बंगसील निवासी रतन भाई का जन्म 1923 में बंगसील गांव के एक गरीब व अनुसूचित जाति के परिवार में हुआ। बचपन से ही उनके चेहरे पर तेज और जिंदादिली की झलक साफ दिखती थी, उनकी जिंदादिली ने ही क्षेत्र में उनको एक नेक समाज सेवी की पहचान दिलाई। गरीब परिवार में जन्मे रतन भाई तत्कालीन परिस्थितियों के मध्य ज्यादा तो नही पढ़ लिख सके लेकिन कम पढ़े लिखे होने के उपरांत भी उनकी बौद्धिक क्षमता सातवें आसमान पर रही, उन्हें बचपन से ही रामायण, महाभारत, गोपीचंद, हनुमान चालीसा आदि ग्रथों को पढ़ने का शौक रहा। जिनका अनुशरण वे अपने अंतिम सांस तक करते रहे, बौद्धिक विचारधारा व बाहुबल के धनी रतन भाई क्षेत्र में पंच सरपंचों की कतार पर सदैव रहे। वे बेवाक व तर्क संगत फैसलों के सदैव पक्षकार रहे, भले ही उनको स्वंत्रता संग्राम सेनानी की पहचान तो नही मिल पाई लेकिन उनके योगदान को कभी भुलाया नही जा सकता है। समाज सेवा की लगन उनके रक्त में इस कदर व्याप्त थी कि वे किसी भी कार्य मे पीठ दिखाना मुनासिब नही समझते थे। आजादी की जंग के वक्त वे अपने यौवन अवस्था के पूरे शबाब पर थे, जिस कारण उन्होंने क्रांतिकारियों के साथ मिलकर जंग में हिस्सेदारी निभाई। वहीं उत्तराखंड आंदोलन के समय उन्होंने लोगों को देश आजादी की कहानियां सुनाकर नई क्रांति का संचार करवाकर आंदोलन में ग्रामीणों की भूमिका को पूरी तरह से धार देने का काम किया। बंगसील निवासी समाज सेवी बिजेंद्र सिंह पंवार, वन पंचायत सरपंच चंदरसिंह रावत, वनपंचायत सरपंच ग्राम मौलधार राजेन्द्र कोहली, ग्राम प्रधान जयदेव गौड़, हुकम सिंह राणा, प्रेम सिंह, घनश्याम गौड़, गजे सिंह, गोबिंद सिंह राणा लंबरदार, दिलमणि गौड़, जगत सिंह, महिपाल सिंह, सत्ये सिंह, सरत सिंह, रामप्रसाद गौड, मिजान सिंह ,शुरबीर, पूर्व प्रधान गुड्डी देवी, आदि ग्रामीणों ने गहरा दुख ब्यक्त करते हुए बताया कि रतन भाई की कमी सदैव क्षेत्र को खलती रहेगी, उनकी जिंदादिली व समझदारी का प्रतिफल रहा कि वे उम्र के इस पड़ाव तक क्षेत्रवासियों के दिलों के तारे रहे। क्षेत्र में आज भी सामाजिक हो या व्यक्तिगत किसी भी जोखिम भरे कार्यों के लिए रतन भाई का उदाहरण दिया जाता है, जो भावी पीढ़ी के लिए एक नजीर बनकर चले गये। उनके निधन पर धनोल्टी विधायक प्रीतम सिंह पंवार, राजपुर विधायक खजानदास, जौनपुर ब्लाक प्रमुख सीता रावत, पूर्व प्रमुख कुवँर सिंह पंवार, गीता रावत, भाजपा जिला उपाध्यक्ष विरेन्द्र सिंह राणा, भाजपा मंडल अध्यक्ष हीरामणि गौड़, रामेश्वर प्रसाद कोठारी, पूर्व ज्येष्ठ ब्लाक प्रमुख महिपाल सिंह रावत, समाजसेवी सोमबारी लाल नौटियाल, गोबिंदराम गौड़, कुलदीप परमार, प्रधान ग्राम पंचायत बूटकोट राकेश कुमार, नवीन कुमार सहित कई राजनैतिक व सामाजिक संस्थाओं से जुड़े लोगों ने गहरा दुख व्यक्त किया है।

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