CDS जनरल विपिन रावत का निधन दुर्भाग्यपूर्ण, देश-प्रदेश और मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है – सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी

देहरादून : तमिलनाडू के कुन्नूर की नीलगिरी पहाड़ियों में सेना के हैलीकाप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण उसमें सवार भारत के चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल विपिन रावत, उनकी धर्मपत्नी तथा 11 अन्य सैन्य अधिकारियों की दुर्भाग्यपूर्ण तथा असामायिक मृत्यु पर उत्तराखण्ड राज्य के सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने गहरा दुःख व्यक्त किया है।
उन्होंने कहा कि ‘‘मुझे तो अभी भी बिल्कुल यकीन नहीं हो रहा कि मेरे अनन्य मित्र विपिन रावत नहीं रहे। उनके साथ मेरे व्यक्तिगत व घरेलू सम्बंध रहे, वह मेरे अनन्य मित्र तथा सखा रहे। पूर्व सैनिकों व सैनिकों से जुड़े हुए प्रत्येक उत्तराखण्ड़ी भाईयों व उनके परिजनां से जुड़े हुए प्रत्येक मामले पर वह बढ़-चढ़ कर हमेशा मुझे सहयोग करते रहे। इस दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना में उनका इस प्रकार कालकवलित होना मेरे लिए व्यक्तिगत तथा अपूर्णीय क्षति है।’’
उन्होंने कहा कि ‘‘यह समूचे राज्य के लिए अत्यधिक भावुक और विचलित कर देने वाला पल है। उत्तराखण्ड में जन्में होने के कारण सीडीएस विपिन रावत का इस धरती के लिए विशेष लगाव रहा। शायद यही कारण था कि राज्य के सैनिक मामलों में मुझे उनसे अपेक्षा के कहीं अधिक सहयोग प्राप्त होता रहा। चाहे सेना भर्ती में राज्य के युवाओं को ऊंचाई में मिली छूट का सवाल हो या फिर राज्य में वीआरओ की स्थापना की बात, चाहे राज्य में टैरिटोरियल आर्मी की दो बटालियनें स्थापित करने का विषय हो अथवा गोरखा रेजीमेंट का भर्ती सेंटर खोलने की बात हो, मुझे उत्तराखण्ड राज्य से जुड़े हर मामले पर उनका सहयोग मिलता रहा।’’

उत्तराखण्ड से रहा सीडीएस का विशेष लगाव

ऽ उत्तराखण्ड के युवाओं को सेना भर्ती के ऊंचाई मानकों में उन्हीं की बदौलत 05 सेंटीमीटर की छूट मिली।
ऽ राज्य के युवाओं को सेना भर्ती में अवसर प्रदान करने के लिए पिथौरागढ़ में बीआरओ की स्थापना के लिए सैद्धांतिक सहमति दे चुके थे विपिन रावत।
ऽ मेरे सुझाव पर राज्य के दोनों मण्डलों में टैरिटोरियल आर्मी की एक-एक बटालियन स्थापित करने के लिए सैद्धांतिक सहमति दे चुके थे विपिन रावत।
ऽ उत्तराखण्ड में गोरखा रेजीमेंट का भर्ती सेंटर खोलने की सहमति प्रदान कर चुके थें सीडीएस रावत।
16 मार्च 1958 को पौड़ी में जन्में जनरल विपिन रावत का परिवार कई पीढ़ियों से भारतीय सेना में सेवाएं दे रहा है। उनके पिता सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत 1988 में वे उप सेना प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। वह 16 दिसंबर 1978 में गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में शामिल हुए। सितंबर 2016 में वह देश के 26वें थल सेनाध्यक्ष बने थे। 2019 तक वो इस पद पर रहे। 01 जनवरी 2020 से वह देश के पहले सीडीएस नियुक्त किया गया था। उन्होंने कार्यभार संभाला था। परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, युद्ध सेवा पदक, सेना पदक, विशिष्ट सेवा पदक, ऐड-डि-कैम्प रहे विपिन रावत रक्षा और रणनीतिक मामलों में सरकार के प्रमुख सलाहकार भी थे।

सीडीएस विपिन रावत का शानदार सैन्य इतिहास रहा 

जनरल रावत को पूर्वी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा, कश्मीर घाटी और पूर्वोत्तर में काम करने का लंबा अनुभव है। अपने करियर में जनरल बिपिन रावत को यूआईएसएम, एवीएसएम, वाईएसएम, एसएम, वीएसएम के साथ वीरता और विशिष्ट सेवा के लिए सम्मानित किया गया है। दो मौकों पर सीओएएस कमेंडेशन और आर्मी कमांडर कमेंडेशन भी दिया गया है। संयुक्त राष्ट्र के साथ सेवा करते हुए, उन्हें दो बार फोर्स कमांडर के कमेंडेशन से सम्मानित किया गया।

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