खस्ताहाल सड़क, पर्यटक और तीर्थ यात्री आधे रास्ते से वापस लौटने को मजबूर।

विनय उनियाल

जोशीमठ : पंचम केदार कल्पेश्वर महादेव मंदिर एवं पंच बद्री में विराजमान ध्यान बदरी उर्गम घाटी की को जोड़ने वाली हेलंग उर्गम मोटर की हालत इतनी खस्ताहाल हो गई है कि पर्यटक, तीर्थ यात्री आधे रास्ते से ही वापस लौट रहे हैं क्योंकि उनके वाहन नहीं चढ़ पा रहे हैं ऐसे में होमस्टे, होटल, ट्रैकिंग से जुड़े लोगों को नुकसान उठाना पड़ रहा है बुकिंग कैंसिल करनी पड़ रही है। पीएमजीएसवाई के लिए सोने के अण्डे देने वाली एवं गुणवत्ताहीन निर्माण के लिए मशहूर उर्गम घाटी की सडक के पुस्ते विना बरसात के ही ढह रहे हैं, लाखों के पुस्ते निर्माण में पत्थर की जगह मिट्टी भरी जा रही है कितनी उच्चतम किस्म की गुणवत्ता है आप तस्वीरों में देख सकते हैं।

चुनाव के वक्त उर्गम घाटी को कागजों में पर्यटन सर्किट गांव घोषित किया गया था ये कैसा पर्यटन सर्किट गांव जहां पहुंचने से पहले ही पर्यटक लौट रहे हैं। हनुमान मंदिर से लेकर किमी चार तक स्थिति बेहद खराब है पहले ही इन स्थानों पर छ बार दुर्घटनाये हो चुकी है जिसमें 8 लोग जान गंवा चुके कारण खराब सड़क फिर भी शासन प्रशासन सुध लेने को तैयार नही है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत समेत कांग्रेस/बीजेपी के दर्जनों विधायक, सैकड़ों अधिकारी, दर्जनों जिला अधिकारी, प्रमुख सचिव भी इस सड़क से सफर कर चुके पर हालत जस की तस हैं। राज्य के मुख्य सचिव ने भी हवाई मार्ग से कल्पेश्वर महादेव मंदिर पहुंच कर जनप्रतिनिधियों एवं उर्गम की जनता को शीघ्र सड़क सुधारने का आश्वासन दिया पर वो भी गुणवत्ताहीन निर्माण की भेंट चढ़ गया। लगातार हो रही खराब सड़क से कास्तकारों किसानों को अपनी फसल की चिंता सता रही है, अपनी जैविक राजमा चौलाई मडुवा आलू एवं अन्य फसलें के लिए प्रसिद्ध है उर्गम घाटी। जनप्रतिनिधि बार बार शासन प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं अब फिर से उर्गम घाटी आक्रोश में बड़े आन्दोलनों का मन बना रही है जो कभी भी फूट सकता है।

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