विकलांगों को अनुकूल वातावरण की अत्यंत आवश्यकता।

देहरादून : अन्तर्राष्ट्रीय विकलांगता दिवस के अवसर पर संजय ऑर्थाेपीडिक, स्पाइन एवं मैटरनिटी सेंटर और सेवा सोसाइटी ने एक निशुःल्क जन जागरूकता व्याख्यान एवं प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया।

अंतर्राष्ट्रीय विकलांगता दिवस पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा विकलांग व्यक्तियों को विकलांगता के मुद्दों की समझ को बढ़ावा देने और विकलांग व्यक्तियों की गरिमा, अधिकारों और कल्याण को बढ़ाने के लिए समर्थन जुटाने के लिए मनाया जाता है।

विकलांगता शरीर या दिमाग की कोई भी स्थिति है जो व्यक्ति के लिए कुछ गतिविधियों को करने और उनके आस-पास की दुनिया के साथ बातचीत करने की स्थिति को और अधिक कठिन बना देती है। विश्व स्वाथ्य संगठन के अनुसार, विकलांगता के कई आयाम हैं, जैसे शरीर के अंग का नुकसान, चलने-फिरने में परेशानी और किसी भी प्रकार के सामाजिक भागीदारी में रूकावट।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार के विश्व के 15 प्रतिशत लोग जबकि भारत सरकार की 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की 2 प्रतिशत से ज्यादा आबादी विकलांगता से जूझ रही है।

डॉ. गौरव संजय ने बताया कि बचपन में पोलियो, सेरेब्रल पाल्सी (सीपी) और क्लब फुट भारत में विकलांगता के मुख्य कारण हैं। भारत 27 मार्च 2014 से पोलियो मुक्त है। यानी उसके बाद से पोलियो के कोई नए मामले सामने नहीं आ रहे हैं लेकिन पोलियो के लाखों पुराने मामले हैं जो रोगियों और राष्ट्र के लिए बड़ी सामाजिक और अन्य समस्याएं पैदा कर रहे हैं।

डॉ. संजय ने यह भी कहा कि हमारे देश में सड़क यातायात दुर्घटनाएं महामारी बन गई हैं, जिससे तबाही मची हुई है और समाज में विकलांगता पैदा हो रही है। लगभग पांच लाख लोग सड़क यातायात दुर्घटनाओं से प्रभावित हो रहे हैं जिनमें एक चौथाई से अधिक लोग मर रहे हैं और हमारे देश के वर्तमान परिदृश्य में सर्वाेत्तम उपलब्ध उपचार के बावजूद कम से कम एक चौथाई लोग अपने पूरे जीवन के लिए विकलांग हो रहे हैं।

व्याख्यान के दौरान इस बात पर जोर दिया गया कि विकलांग लोगों की आवश्यकता भी वही होती है जो एक सक्षम व्यक्ति की होती हैं। हम सभी के लिए एक अनुकूल वातावरण की आवश्यकता होती है लेकिन विकलांग लोगों को और भी ज्यादा। मैं निम्नलिखित कुछ उदाहरण को उद्धृत करना चाहूंगा जिनको अनुकूल परिस्थियां मिलने के कारण ही उनका काम प्रेरणादायक एवं अनुकरणीय रहा है जैसे होमर, सूरदास, अष्टवक्र और आधुनिक इतिहास में हेलेन केलर, स्टीफन हॉकिंग, सुधा चंद्रन, रविंद्र जैन, अरुणिमा सिन्हा, सत्येंद्र सिंह आदि।

डॉ. संजय ने कहा कि विकलांगता जितने ज्यादा समय रहती है उसका प्रभाव आनुपातिक रूप से बढ़ता रहता है। सरकारी, गैर-सरकारी संगठनों और समाज को किसी भी प्रकार की विकलांगता को रोकने का प्रयास करना चाहिए। किसी भी कारण से हुई विकृति और विकलांगता को जल्द से जल्द ठीक किया जाना चाहिए। इसलिए हम लोग हमेशा रोगी को विकृति और रोगी के परिवार के सदस्यों को सलाह देते हैं कि यदि सर्जरी की आवश्यकता है, तो इसे जल्द से जल्द किया जाना चाहिए क्योंकि पौधे सीधे किए जा सकते हैं, पेड़ नहीं।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *