दलित उत्पीड़न को लेकर राज्य सरकार गंभीर नहीं – पूर्व राज्यसभा सांसद टम्टा

मसूरी : पूर्व राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा ने मसूरी में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राज्य सरकार दलित उत्पीड़न को लेकर संवेदनशील नहीं है। उन्होंने बताया कि उत्तरकाशी में एक दलित नाबालिक के साथ हुए दुष्कर्म के मामले में सरकार का कोई भी जनप्रतिनिधि वहां नहीं पहुंचा और एक ही सप्ताह के भीतर दो मामले हुए जिसमें अल्मोड़ा में एक दलित नेता की हत्या कर दी जाती है, उसके बाद उत्तरकाशी में एक नाबालिग युवती के साथ दुष्कर्म की घटना हो जाती है जो यह दर्शाती है कि सरकार दलितों कितनी हितैषी है।
उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि दलित युवती के साथ दुष्कर्म के आरोपी को अब तक पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाई है और ऊंचे रसूख वालों के दबाव के चलते दलित युवती न्याय के लिए दर-दर भटक रही है। साथ ही पुलिस भी प्राथमिकी दर्ज करने में टालमटोल कर रही थी, जिसके बाद पुलिस पर दबाव बनाकर प्राथमिकी दर्ज की गई।  उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि उस युवती के साथ कोई नहीं गया इस घटना को वहां के समाज ने भी कोई महत्व नहीं दिया गया जिससे बड़ी पीड़ा हुई है। अगर यह घटना किसी अन्य के साथ होती तो बड़ा मामला बन जाता। उन्होंने कहा कि एक ओर हम आजादी की 75वीं वर्ष गांठ मना रहे हैं और दूसरी ओर एक सप्ताह के अंदर दो घटनाएं हो गई यह सीधें प्रदेश सरकार की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़ा करता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री उस क्षेत्र में गये लेकिन इस संबंध में एक भी शब्द नहीं बोला व वहां से आपदाग्रस्त क्षेत्र में चले गये जो उनकी असंवेदन शीलता को दर्शाता है।
भर्ती घोटाले के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी लगातार भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच की मांग करती आ रही है, लेकिन प्रदेश के मुखिया भ्रष्ट अधिकारियों और प्रतिनिधियों को बचाने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर भी कांग्रेस पार्टी ने उठाया है और मांग की है कि भर्ती घोटाले में शामिल लोगों को सलाखों के पीछे भेजा जाए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का युवा आज खुद को ठगा महसूस कर रहा है और बैक डोर से भर्तियां हो रही है, साथ ही अपने चहेतों को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता से जगह दी जा रही है जो कि उत्तराखंड के लिए घातक है। साथ ही इससे युवा वर्ग परेशान है। इस मौके पर पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला, जबर सिंह वर्मा, रूपचंद गुरूजी आदि मौजूद रहे।

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