आर्थिकी और पारिस्थितिकी में समन्वय की दृष्टि से सरकार राज्य में सगंध पादपों की खेती पर भी जोर दे रही है। इसी कड़ी में मिशन टिमरू को धरातल पर मूर्त रूप देने के लिए इसकी कार्ययोजना तैयार की जा रही है। सगंध पौधा केंद्र इसे तैयार करने में जुटा है। मिशन के प्रथम चरण में पिथौरागढ़ व मुनस्यारी में पांच सौ हेक्टेयर में टिमरू वैली स्थापित करने की योजना है। टिमरू की पौध की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पिथौरागढ़ जिले के बिसाण फार्म में नर्सरी विकसित की जा रही है। बदली परिस्थितियों में खेती के सम्मुख आ रही कठिनाइयों को देखते हुए सगंध खेती के बेहतर परिणाम सामने आए हैं।
8602 हेक्टेयर में हो रही है सगंध पादपों की खेती
वर्तमान में राज्य सरकार के उपक्रम सगंध पौधा केंद्र के तकनीकी सहयोग से 109 एरोमा क्लस्टर विकसित किए गए हैं। इनमें 24454 किसान 8602 हेक्टेयर क्षेत्र में सगंध पादपों की खेती कर रहे हैं।
किसानों को होता है फायदा
असल में लेमनग्रास, सिट्रोनेला, पामारोजा, गेंदा, पूजा तुलसी, मीठी तुलसी, मिंट, डेमस्क रोज, तेजपात, कैमोमिल, रोजमेरी, जिरेनियम, कूठ, कालाजीरा जैसी सगंध फसलें ऐसी हैं, जिन्हें वन्यजीव क्षति नहीं पहुंचाते। इनके लिए पानी की अधिक आवश्यकता नहीं होती। साथ ही इनका तेल निकालकर परिवहन में भी सुलभता होती है और दाम भी बेहतर मिलते हैं।
जैंथोजाइलम आर्मेटम को बढ़ावा देने का किया निश्चय
इसी क्रम में सरकार ने राज्य के हिमालयी क्षेत्र में पाई जाने वाली झाड़ीनुमा वनस्पति टिमरू (जैंथोजाइलम आर्मेटम) को बढ़ावा देने का निश्चय किया है। इसके लिए मिशन टिमरू लांच किया गया है। दरअसल, टिमरू का धार्मिक और औषधीय महत्व है। पिछले वर्ष सगंध पौधा केंद्र ने टिमरू के बीज से इत्र व परफ्यूम विकसित किया।
इत्र और परफ्यूम को पीएम मोदी को किया गया भेंट
वैश्विक निवेशक सम्मेलन में यह इत्र और परफ्यूम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भेंट किया गया था। अब मिशन टिमरू को धरातल पर मूर्त रूप देने के लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है। सगंध पौधा केंद्र के निदेशक डा नृपेंद्र चौहान ने बताया कि इस पर काम चल रहा है और शीघ्र ही कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया जाएगा।
500 हेक्टेयर में घाटी तैयीर करने की योजना
डा नृपेंद्र चौहान ने बताया कि टिमरू के कृषिकरण के लिए इसकी घाटियां विकसित की जाएंगी। प्रथम चरण में पिथौरागढ़ व मुनस्यारी में 500 हेक्टेयर में यह घाटी तैयार करने की योजना है। इसके लिए टिमरू की पौध उपलब्ध कराने के लिए बिसाण फार्म में हाईटेक नर्सरी तैयार की जा रही है। इस नर्सरी में प्रशिक्षण की सुविधा भी उपलब्ध होगी। डा चौहान ने बताया कि टिमरू के पौधारोपण, इसमें आने वाले खर्च समेत अन्य बिंदुओं को कार्ययोजना में शामिल किया जाएगा।
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