वचना शर्मा ने स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत को लिखी चिट्ठी।

रिपोर्ट – जितेन्द्र गौड़

टिहरी/धनोल्टी : क्षेत्र की समस्याओं को देखते हुए वचना शर्मा ने स्वास्थ्य मंत्री को लिखी चिठ्ठी जिसमे जौनसार बावर के केंद्र बिंदु चकराता में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तो है लेकिन वहां पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जैसी सुविधा नहीं आलम यह है कि कालसी हरिपुर से लेकर त्यूनी दुरुस्थ क्षेत्र तक बसा जनजातीय जौनसार बाबर जिसके अंतर्गत सैकड़ों गांव निवास करते हैं लेकिन यहां के अस्पतालों का हाल यह है कि यहां पर कई बार अस्पतालों के बरामदे मैं महिलाएं प्रसव की पीड़ा के दौरान नवजात शिशु को जन्म दे देती है इसके अलावा जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर मैं ट्यूनी अग्निकांड बाद त्यूनी प्राथमिक चिकित्सालय में सप्ताह में 1 दिन के लिए अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था की है गई जबकि अन्य किसी भी अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड जैसी सुविधा से हजारों लोग वंचित है इस समय जौनसार बाबर दृष्टिगत कही सारी दैवीय आपदा होती है और होने की संभावना भी है जिसमें अधिकतर भूस्खलन भूमि कटाव बादल फटना जैसी भयानक आपदा मानसून रीजन मैं होती रहती है लेकिन जौनसार बावर की किसी भी हस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती नहीं है यहां तक चकराता सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मैं ऑपरेशन थिएटर तो है लेकिन सर्जन की व्यवस्था नहीं जबकि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अमूमन 12:00 से 15 चिकित्सकों की तैनाती होती है जिसमें 5 से 6 विशेषज्ञ चिकित्सक रहते हैं कुल मिलाकर 45 से 40 कर्मचारियों की तैनाती होती है लेकिन यहां पर 10 से 12 लोग ही रहते हैं कुछ वर्ष पूर्व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चकराता के लिए विभाग द्वारा लाखों की कीमत वाले रंगीन एक्स-रे मशीन भेजी गई जो 1 वर्ष तक अस्पतालों के बरामदे में धूल खाती रहे उसके बावजूद 1 बाद उस एक्स-रे का समय रखा गया जो आज तक भी चल नहीं रही है पहाड़ों की महिलाएं यहां के कृषि कार्य एवं पशुपालन मैं काफी भागीदारी कर अपनी मेहनत कर काफी कार्य करती है जिस कारण पहाड़ की महिलाओं का जीवन अत्यंत संघर्ष पूर्ण रहता है महिलाएं अनेकों सारारिक परिवर्तनों से भी गुजरती है लेकिन जौनसार बावर के किसी भी अस्पताल में महिला विशेषज्ञ चिकित्सक की तैनाती नहीं है यह खेद के साथ सोचनीय विषय है यहां के सब सेंटर एनएम सेंटरो अधिकतर ताले लटके मिलते हैं जबकि आशा कार्यकर्ती कभी-कभी गांव मिलती है अधिकतर समय वह बाहरी मैदानी क्षेत्रों में रहती है ऐसी स्थिति में पहाड़ों के दुरस्थ स्वास्थ्य सुविधाएं कैसे मजबूत होगी जिस कारण हजारों लोग स्वास्थ्य और बेहतर शिक्षा के लिए दिन प्रतिदिन पहाड़ों को को छोड़ पलायन कर रहे हैं पलायन होने को मजबूर है जौनसार बावर के अस्पताल केवल सेंटर मात्र बनकर रह गए हैं यहां कभी बड़ा हादसा हो जाए तो यहां के अस्पतालों से तुरंत चोटिल वहां से ग्रस्त व्यक्ति को या गंभीर बीमारी वाले व्यक्ति को हायर सेंटर रेफर किया जाता है कई बार तो देहरादून के सफर करते रहते हैं व्यक्ति की मृत्यु तक हो जाती है ऐसे में इन्ह अस्पतालों का बनने का क्या फायदा डॉक्टरों को कर्मचारियों को मोटे मोटे वेतन देने का क्या फायदा जो केवल रेफर सेंटर बने हुए हैं अस्पतालो मैं यदि इसी प्रकार की व्यवस्था चलती रहे तो इन हस्पताल को बंद कर देना चाहिए ताकि व्यक्ति पहले से ही अपने मरीजों को हायर सेंटर व शहरों के अस्पताल पहुंचा सके और जितना समय यहां लाने में खर्च हो रहा है उससे भी बचाव हो सके।

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