यूकेसीडीपी की मदद से कोटद्वार के तौलीखाल/लालढांग में जल्द खुलेंगे दुग्ध उत्पादक सेवा केंद्र।

उत्तराखंड : एनसीडीसी और यूकेसीडीपी की मदद से उत्तराखंड के ग्रामीण अंचलों में दुग्ध किसानों के तरक्की के लिए जमीन पर कार्य कर रहा है। राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना ने राज्य के चार जिलों में 12 दुग्ध उत्पादक सेवा केंद्र खोले हैं। दो और कोटद्वार क्षेत्र में खुलने जा रहे हैं।


राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना के मुख्य परियोजना निदेशक , कोऑपरेटिव और दुग्ध विकास सचिव डॉ बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने बताया कि देहरादून जनपद में छरबा, अटाल, झबरावाला, लाल तप्पड़, हरिद्वार जिले में खेड़ीमुबारकपुर, गोवर्धनपुर टिहरी जिले में स्वाडी, कफोल गांव, डोंगली, उत्तरकाशी जिले में तिया थौलधार, बादशी चिन्यालीसौड़, फ़ोल्ड में दुग्ध उत्पादन सेवा केंद्र खोले गए हैं। अब कोटद्वार क्षेत्र में तौली खाल, लालढांग में 15 दिन में दुग्द उत्पादक सेवा केंद्र खोले जाएंगे। इसका सर्वे हो गया है।

सचिव डॉ पुरुषोत्तम ने बताया कि इन सेवा केंद्रों के माध्यम से आसपास के ग्रामीण किसान अपने पशुओं के लिए वैटनरी फैसिलिटी , पाउडर, चारा, कैटल फीड, वैज्ञानिक ढंग से दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए राय ले सकेंगे। एक दुग्ध समिति से 250 से 300 किसान जोड़े गए हैं।

सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए पिछले 6 सालों से कार्य कर रहे हैं। उन्हीं के प्रयास से राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना केंद्र सरकार ने मंजूरी दी है। डॉ रावत ने बताया कि राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना किसानों को तीन और पांच यूनिट की गाय बाहरी राज्यों से खरीद कर दे रही है इस पर सब्सिडी है और काफी किसान इसका लाभ ले रहे हैं प्रदेश में दुग्ध के उत्पादन में वृद्धि कर वह अपनी आमदनी दोगुनी कर रहे हैं।

दूध खाद्य पदार्थ के रूप में हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया है। आज दूध से न सिर्फ दही, घी और पनीर बल्कि अनगिनत खाद्य पदार्थ दुनिया भर में बनाए जाते हैं। दूध की महत्ता को देखते हुए हीं इसे सफेद सोना भी कहा जाता है। दूध का प्रयोग जहां शरीर के विकास में लाभकारी होता है, वहीं आज यह रोजगार का भी साधन बन गया है। भारत में भी केंद्र सरकार की ओर से डेयरी विकास और दुग्ध उत्पादन के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं, जिसका परिणाम है कि आज भारत दुनिया का सर्वाधिक दूध उत्पादन करने वाला देश है। उत्तराखंड राज्य ने भी दुग्ध उत्पादन में अपनी जड़ें मजबूत की है।

दूध उत्पादन और प्रसंस्करण क्षमता बढ़ाने, तकनीक के सहारे दूध उत्पादन और वितरण को बढ़ावा देने, छोटे और सीमांत डेयरी किसानों, विशेषकर महिलाओं को सशक्त बनाने जैसे अन्य मुद्दों पर राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना काम कर रही है। जिसके सकारात्मक परिणाम देखने में आ रहे हैं।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *