फायर सेफ्टी पर फोकस: दून अस्पताल में महीने में दो बार ट्रायल और उपकरणों की जांच..

राजकीय दून मेडिकल कालेज अस्पताल में फायर सेफ्टी का ट्रायल अब महीने में दो बार होगा, जिसमें सुरक्षाकर्मियों और अन्य संविदा कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। सोमवार को अस्पताल के इमरजेंसी में ट्रायल कर आग से निपटने की तैयारियों का परीक्षण किया गया।


राजकीय दून मेडिकल कालेज अस्पताल में फायर सेफ्टी का ट्रायल अब महीने में दो बार होगा। इसमें सुरक्षाकर्मियों के साथ ही अन्य संविदा कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसी क्रम में सोमवार को अस्पताल के इमरजेंसी में ट्रायल कर आग से निपटने की तैयारियों को परखा।

फायर सेफ्टी ट्रायल सुबह 11:30 बजे शुरू हुआ। इसमें 10 सुरक्षाकर्मी समेत कुल 18 लोगों को इमरजेंसी में प्रशिक्षण दिया गया। इस दौरान पंप नहीं चलने पर ओटो मोड पर कैसे शुरू करें, पानी का प्रेशर कितना रखें, कहीं लीक हो रहा तो किस तरह से कार्य करें, लाइट जाने पर किस तरह से कार्य करें आदि के बारे में बताया। प्रशिक्षण इमरजेंसी के बाहर और पीछे कराया गया।

उप चिकित्सा अधीक्षक डा. एनएस बिष्ट ने बताया कि हर 15 दिन में यह ट्रायल होगा। इसका मकसद अग्निकांड की घटना से निपटना और तत्पर रहना है। साथ ही उपकरणों की भी परख होती है। जहां खराबी होती है, वहां तुरंत सही कराया जाता है।

आडिट में फेल हो गया था अस्पताल

बीते मई में राजकीय दून मेडिकल कालेज अस्पताल अग्निशमन विभाग के फायर आडिट में फेल हो गया था। अस्पताल में अग्नि सुरक्षा के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए, लेकिन फायर सिस्टम एक्टिव नहीं रहा। अस्पताल के इमरजेंसी व ओटी में आडिट के दौरान भी अग्नि सुरक्षा प्रणाली का महत्वपूर्ण फायर सेफ्टी आटोमेटिक पंप खराब अवस्था में मिला।

अग्निशमन विभाग की टीम ने जब फायर वाटर पंप को शुरू किया तो उसकी बैटरी नहीं चल पाई थी। यहां उस समय कई अग्निशमन यत्रं भी खराब पाए गए थे। इससे पहले 2024 में भी विभाग की पड़ताल में खामियां सामने आईं। ऐसे में अब अस्पताल प्रशासन इस ओर हर तरह की खामी से निपटने के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण करा रहा है।

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