सवा अरब लगने के बाद भी 15 सालों में आम जनता को नहीं मिल पायी सीवर योजना की सुविधा।
(सो0 – वरिष्ठ पत्रकार श्री बिजेन्द्र पुंडीर जी)
मसूरी : पर्यटन नगरी में सीवर की समस्या से निदान पाने के लिए 62 करोड़ की लागत से सीवर लाइन बिछाने का कार्य वर्ष 2009 से शुरू किया गया था लेकिन 15 साल बीतने के बाद भी इस योजना का धरातल पर न आना पेयजल निगम की लापरवाही व प्रदेश सरकार की विफलता माना जा रहा है। जबकि इस सीवर लाइन के लिए एक नहीं कई बार योजना का के लिए धनराशि बढाई गयी व बजट सवा अरब पहुंच चुका है।
इस योजना के तहत मसूरी की सीवर समस्या का समाधान किया जाना था क्यो कि पुरानी सीवर व्यवस्था ब्रिटिश काल में बनाई गई थी जो मात्र पांच हजार लोगों के लिए थी लेकिन अभी तक इसका लाभ लिया जा रहा था लेकिन जनसंख्या बढ़ने व पर्यटन बढने के बाद ब्रिटिश काल की योजना कार्य नहीं कर पा रही थी जिस पर सीवर व्यवस्था को सुचारू करने के लिए सीवर व्यवस्था बनाई गई व भारत सरकार ने इसके लिए 62 करोड़ रूपये स्वीकृत किए। तब लग रहा था कि इस योजना से मसूरी की सीवर व्यवस्था सुधरेगी जबकि विभाग ने तीन साल में योजना पूरी करने का दावा किया था लेकिन 15 साल बीतने पर भी सीवर योजना का लाभ आम जनता को नहीं मिल पाया। विभाग की कुछवा गति के कारण व कुछ नये स्थानों को जोडने के कारण योजना लंबी खिंचती चली गई व 62 करोड़ की योजना सवा अरब तक पहुंुच गयी लेकिन अभी तक कार्य पूरा नहीं हो पाया है। आश्चर्य की बात है कि सीवर लाइन के लिए पांच एसटीपी बनने थे जिसमें से अभी तक दो ही पूरे बना पाये व तीन अभी तक नहीं बने वहीं योजना में नये क्षेत्र जोड़ने पर पंाच और एसटीपी बनने है व करीब दस किमी नई लाइने बननी है। लेकिन विभाग की कछुवा गति से चल रही कार्यप्रणाली के कारण वर्ष 2023 में भी शहर के विभिन्न स्थानों पर सीवर बहने से लोगों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिससे पर्यटन नगरी की छवि भी धूमिल हो रही है।
इस संबंध में नगर पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता ने कहा कि मसूरी में विभिन्न स्थानों पर खुले में सीवर बह रहा है जिसका प्रभाव पर्यटन पर भी पड़ रहा है उन्होंने कहा कि इस संबंध में आला अधिकारियों से कई बार पत्राचार और वार्ता भी की गई लेकिन अब तक यह परियोजना पूरी नहीं हो पाई है जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।
पूर्व पालिकाध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल ने कहाकि सीवर योजना का कार्य 15 सालों में पूरा न होना विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है। यहीं कारण है कि जल संस्थान ने अभी इसे अपने हेैंडओवर नहीं किया है। जो जूनियर इंजीनियर इस योजना में आया था वह एक्शन होकर रिटायर हो गया, 62 करोड की योजना 130 करोड़ पहुच गई, लेकिन योजना पूरी नहीं हुई। अभी भी कई क्षेत्र इस योजना में नहीं जुड पाये हैं न ही एसटीपी टैकं पूरे बन पाये हैं और नहीं कनेक्टिविटी दी गई है। इससे आक्रोश होना लाजिमी है।
शहर कांग्रेस अध्यक्ष अमित गुप्ता ने इस परियोजना में घोटाले की आशंका जताते हुए दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही की बात करते हुए कहा कि अंग्रेजों के जमाने से बिछी सीवर लाइन पर ही शहर के वासी निर्भर हैं और नई सीवर लाइन बिछाने का कोई भी लाभ यहां के निवासियों को नहीं मिल पाया है। उन्होंने कहा कि यदि इस योजना को शीघ्र पूरा नहीं किया गया तो कांग्रेस पार्टी इसको लेकर आंदोलन के लिए बाध्य होगी और जिसकी समस्त जिम्मेदारी संबंधित विभागों की होगी।
वहीँ सभासद गीता कुमाई ने कहा कि शहर में हो रहे निर्माण कार्यों का मलवा सिविल लाइन में चला जाता है जिससे वह चोक हो जाती हैं बार-बार अधिकारियों को इस बारे में जानकारी देनी पड़ती है और आम लोगों को दुर्गंध और महामारी का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि विभागों को पारदर्शिता के साथ इस योजना को पूरा करना चाहिए।