वैल बीइंग सम्मेलन मे बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर चिंतन मंथन किया गया।

मसूरी : वुड स्टॉेक स्कूल में आयोजित दो दिवसीय वैल बीइंग कांफ्रेस का समापन छात्रों के सुनियोजित मानसिक विकास करने के संकल्प के साथ हो गया। इस अवसर पर प्रधानाचार्य डा. क्रेग कुक ने कार्यक्रम की सफलता के लिए सभी बाहर से आये विद्यालयों के छात्रों, प्रतिनिधियों व आयोजक मंडल का आभार व्यक्त किया।
वुड स्टॉक स्कूल में आयोजित वैल बीइंग कंाफ्रेेस वैल बीइंग एट स्कूल्स, पाथवेज टू फलरिश में दो दिनों तक छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर चिंतन मंथन किया गया। समापन समारोह के मौके पर निदेशक स्वास्थ्य उत्तराखंड डा. कुलदीप मार्तोलिया ने कहा कि ऐसे आयोजनो की बहुत जरूरत है, उन्होंने कहा कि हर पांचवा बच्चा मानसिक रोग से ग्रसित है। जिसके लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाने की जरूरत है इसके लिए समाज में जागरूकता की जरूरत है। वहीं सरकार की ओर से सशक्त नीति बनाने की जरूरत है, सरकार की ओर से उत्तराखंड में मेंटल हेल्थ के कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं वही बड़े अस्पतालों में मानसिक चिकित्सक रखे है, स्कूलों में काउसलर है जो स्कूलों इस विषय को देखते है, ऐसे में इसकी जानकारी रखनी चाहिए, अभिभावकों को देखना चाहिए कि बच्चा जो गतिविधि कर रहा है उसमें परिर्वतन तो नहीं हो रहा है। उन्होंने वुड स्टाक स्कूल की इस बात को लेकर सराहना की कि उन्होंने इस विषय को लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसकी चर्चा की। नेपाल से आये प्रतिनिधि सुमन पोडले ने कहा कि इन दो दिनों में बहुत कुछ सीखने को मिला जो काउंसलर आये उन्होंने विषय की बारीकियों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मानसिक तनाव पर अच्छी चर्चा हुई, डिजिटल, मोबाइल आदि के प्रयोग से होने वाले नुकसान के बारे में बताया गया जिस पर अभिभावकों व शिक्षकों को देखना होगा। बच्चों में मानसिक परेशानी हो रही है आधुनिक उपकरणों का प्रयोग सीमित करें 21वी सदी में यह जरूरी है। भारत में यह पहला कार्यक्रम वुड स्टाक स्कूल ने किया जो महत्वपूर्ण है व यहां से जाने के बाद अपने स्कूलों में इसका उपयोग किस प्रकार करेंगे यह देखना होगा इसमें अभिभावकों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। इस मौके पर कार्यक्रम की काउंसलर दृष्टि भसीन ने कहा कि यह सम्मेलन सफल रहा जिसमे देश के 17 राज्यों के 77 स्कूलों सहित नेपाल के 232 छात्र व प्रतिनिधि शामिल हुए। उन्होंने कहा कि बच्चों के मानसिक व भावनात्मक लगाव में संतुलन बनाना, समाज में किस तरह रहना है। सम्मेलन के बाद आये प्रतिनिधि अपने स्कूलों में इसे लागू करेंगे तो इसका सही लाभ होगा। यह भारत में पहला सम्मेलन है जिसकी आये प्रतिनिधियों ने सराहना की। मानसिक व भावनात्मक स्वास्थ्य का ध्यान रखना शिक्षकों के लिए भी जरूरी है।

इस अवसर पर कार्यक्रम संयोजन बीनू थॉमस ने बताया कि वुड स्टाक स्कूल के काउंसलर विभाग ने पहला सम्मेलन बैल बींइग पर किया है जिसमें आये स्कूलों के बच्चों व शिक्षकों ने मानसिक स्वास्थ्य पर चिंतन मंथन किया व निष्कर्ष निकला कि आधुनिक उपकरणों की जरूरत के हिसाब से उसका प्रयोग करें, बच्चों की मानसिक स्थिति पर ध्यान दें, जिसमें मोबाइल, सोशल मीडिया आदि प्रमुख है। सम्मेलन में आस्ट्रेलिया से आये मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डेविड बोट, आईपीएस मनोज अब्राहम, डा. पुतुलेमला, सुनीता शर्मा, रेनू प्रियंका, राहुल, डा, कुडडू आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। वहीं सम्मेलन में स्थानीय हस्तशिल्प की प्रदर्शनी भी लगाई गयी थी।

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