Election 2022 – धनोल्टी के दंगल में सूरमाओं की इज्जत दांव पर।

टिहरी : कांग्रेस व भाजपा ने अपने प्रत्याशियों के टिकट वितरित कर दिए लेकिन दोनों में ही अंतर कलह जारी है। हालांकि कांग्रेस में तो केवल एक ही प्रत्याशी टिकट न मिलने पर विरोध कर रहा है लेकिन भाजपा में बड़ा घमासान चल रहा है। धनोल्टी के विधायक प्रीतम सिंह ने गत चुनाव निर्दलीय लड़ा था लेकिन चुनाव से ठीक पहले प्रीतम सिंह ने आगे की राजनीति को सुरक्षित रखने के लिए भाजपा का दामन थाम लिया। और भाजपा ने उन्हें ही धनोल्टी से प्रत्याशी बना दिया है जिसके कारण लंबे समय से जनता के बीच जाकर अपनी पैंठ बनाने वाले अन्य नेता जिन्हें उम्मीद थी कि टिकट मिलेगा नहीं मिला जिससे उनकी नाराजगी जग जाहिर हो चुकी है। हालात यह हैं कि धनोल्टी से भाजपा के बड़े दिग्गज नेताओं ने प्रीतम को टिकट मिलने पर बधाई तक नहीं दी।
धनोल्टी विधानसभा वैसे तो भाजपा का गढ़ रहा है लेकिन इस बार स्थिति विपरीत हो गई है। बडे़ नेताओं की नाराजगी आने वाले समय में क्या गुल खिलायेगी यह समय बतायेगा। धनोल्टी से टिकट चाहने वालों में पूर्व मंत्री नारायण सिंह राणा, पूर्व में विधायक रह चुके व गढवाल मंडल विकास निगम के अध्यक्ष रहे महावीर सिंह रांगड़, राजेश नौटियाल, सुभाष रमोला, मीरा सकलानी आदि हैं। जो अभी अपने पत्ते खोलने को तैयार नहीं है हालंकि ये अभी गुपचुप बैठकों का दौर कर रहे हैं। वहीं महावीर सिंह रांगड़ ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का मन बना लिया है व लगातार जनता के बीच जाकर जनसंपर्क में जुट गये हैं। जहां तक महावीर सिंह रांगड़ बडे़ जनाधार वाले नेता है पहले ब्लाक प्रमुख रहे व उसके बाद विधायक बने उनका क्षेत्र में बड़ा जनाधार है, अगर वह माने नहीं तो उसका खामियाजा भाजपा को उठाना पड़ सकता है।

वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भाजपा के जिला उपाध्यक्ष व वर्तमान में जिला पंचायत उपाध्यक्ष भी हैं, भोला सिंह परमार ने भी महावीर सिंह रांगड़ के पक्ष में भाजपा से इस्तीफा दे दिया है। ऐसे में भाजपा दो भागों में बंटती नजर आ रही है। अगर सभी टिकट के दावेदार महावीर सिंह रांगड़ के पक्ष में खड़े हो जाते हैं तो प्रीतम की मुश्किलें बढ़ सकती है। महावीर सिंह रांगड लगातार क्षेत्र में घूम रहे हैं यहा तकि कि छानियों तक की खाक छान रहे हैं। वहीं उन्होंने त्रिवेंद्र सरकार व धामी सरकार में कई योजनाएं स्वीकृत करवाई हैं कई सडकों का निर्माण, डामरी करण व स्वीकृति दिलवाई है। वहीं ख्यार्सी में जैविक उत्पादन सेंटर खुलवाया है। कांड़ी पंपिंग योजना आदि स्वीकृत करवाई। जिसका लाभ उन्हें मिल सकता है।

वहीं प्रीतम सिंह को अपने जनाधार के साथ ही पूर्व में मंत्री पद के दौरान किए गये कार्याें पर भरोसा है। अब देखना है कि अगर भाजपा के नेता उनके साथ नहीं आये तो मुश्किलें बढ़ सकती हैं अगर भाजपा अपने नाराज कार्यकर्ताओं को मना लेती है तो तब जाकर उनका पक्ष मजबूत हो सकता है।

सूत्रों की माने तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस में टिकट के दावेदार डॉ. विरेंद्र रावत टिकट न मिलने से नाराज है लेकिन वह खुले आम कुछ नहीं बोल रहे हैं,  लेकिन अंदर खाने अगर भीतराघात किया तो इसका नुकसान कांग्रेस को हो सकता है। हालांकि जोत सिहं बिष्ट लगातार पिछले पांच वर्षों से क्षेत्र में लगातार सक्रियता बनाये हुए हैं। ऐसे में उनका पलड़ा भारी लग रहा है। लेकिन वहीं प्रीतम सिंह पंवार को अगर बड़े नेताओं के नाराज होने पर प्रभाव पड़ता है तो उन्हें परेशानी होगी ऐसे में अगर पार्टी का कैडर वोट वह डलवाने में सफल हो गये तो उनकी जीत हो सकती है। वहीं जोत सिंह बिष्ट को आम आदमी पार्टी सीधा नुकसान पहुंचा रही है क्योंकि आम आदमी पार्टी के नेता अमेंद्र बिष्ट तो जिला पंचायत सदस्य भी है वह कांग्रेस छोड कर आम आदमी पार्टी में आये है जिसका नुकसान कांग्रेस को हो सकता है।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सोशल मीडिया वायरल